Friday, November 30, 2018

NIKAH ME TAAKHIR (LATE KARNE) KE BAHAANE

*NIKAH ME TAAKHIR (LATE KARNE) KE BAHAANE*

⭕AAJ KA SAWAL NO.1563⭕

A.
Hamaare muashare me ladka shadi ki umar ko pahonch jaata hai aur uski ek bahan bhi shadi ki umr ko pahonchi huyi hoti hai, ladke ko uske munasib ladki mavjood hoti hai aur bahan ka rishta baaqi hota hai to ladke ke nikah me is wajah se der ki jaati hai ke abhi bahan ka nikah nahi huva hai, pehle bahan ka nikah hona chahiye fir bhai ka, qareeb umr ki bahan hote huve bhai ka nikah pehle karane ko aeb samjha jaata hai kya shareeat me iski koyi haqeeqat hai?

B.
Ek martaba bahan ka achchha rishta aaya bhi tha to yun keh kar manaa kar diya ke bahan ko ladka pasand nahi aaya to achchhe rishte, maal ya surat ki buniyad par thukrana kaisa hai?

🔵JAWAB🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

Hazrat Ali Radiyallahu anhu se riwayat hai ke Nabi صلی اللہ علیہ وسلم ne farmaya, *"Aye Ali 3 Cheez me der na ki jaaye*

*1⃣. Namaz, jab uska waqt ho jaaye,*

*2⃣. Janaza jab aa jaaye,*

*3⃣. Be nikah shakhsh (mard ho ya aurat) jab uska jora mil jaye"*

Ladke ki mali haisiyat itni hai ke mahar adaa kar ke aurat ka nano nafqah (zaruri kharcha) bardasht kar sakta hai aur nikah na karne ki surat me zina me mubtala hone ka yaqeen hai to aisi surat me nikah karna wajib aur zaruri hai.

Pehle bahan fir bhai aisi tarteeb shareeat se saabit nahin,  joda mil gaya fir bhi nikah tarteeb ke bahane se nahin kiya aur aaj-kal ki be pardagi aur be hayai ke mahol me ladka zina me mubtalah huva to maa-baap bhi gunehgar honge.

B.
Huzur صلی اللہ علیہ وسلم ne farmaya, *"jab kisi aise shakhs ki taraf se paigam aa jaye jiske akhlaq aur deen se tum mutmain ho to fouran shaadi kar do warna zameen ke andar azeem fitna wa fasad barpa hoga"* (jo aaj-kal zina,  irtidad aur ladka ya ladki ke bhag jane ki surat me hamare samne aa raha hai)

📗TIRMIZI 1\148

Is hadees me achchhe rishte ka me`yar maal, khandan ya khubsurati ko nahin banaya gaya balke sirf deen daari, achche akhlaq ho to nikah ka paigam thukrana bahut bura aur fitno aur gunahon ka sabab qarar diya hai.

و الله اعلم بالصواب

*🌙🗓ISLAMI TAREEKH* : 22 RABEEUL AWWAL 1440 HIJRI

✍🏻Mufti Imran Ismail Memon Hanafi Chishti.
🕌 Ustaze Darul Uloom Rampura, Surat, Gujarat, India.

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निकाह में ताख़ीर के बहाने

*निकाह में ताख़ीर के बहाने*

⭕आज का सवाल नंबर १५६३ ⭕

१⃣।
हमारे मुआशरे में लड़का शादी की उम्र को पहोंच जाता है, और उस की एक बहन भी शादी की उम्र को पहोंची हुई होती है, लड़के को उस के मुनासिब लड़की से मंगनी हो चुकी होती है, और बहन का रिश्ता बाकी होता है, तो लड़के के निकाह में इस वजह से देर की जाती है के अभी बहन का निकाह नहीं हुवा है, पहले बहन का निकाह होना चाहिए फिर भाई का, क़रीब उम्र की बहन होते हुवे भाई का निकाह पहले करने को ऐब समझा जाता है।
क्या शरीअत में इस की कोई हकीकत है ?

२⃣।
एक मर्तबा बहन का अच्छा रिश्ता आया भी था तो यूँ कह कर मना कर दिया के बहन को लड़का पसंद नहीं आया, तो अचछे रिश्ते माल या सुरत की बुन्याद पर ठुकराना कैसा है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما
१⃣।
हज़रात अली रदियल्लाहु अन्हु से रिवायात है के नबी सलल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया, "ए अली। तीन चीज़ में देर न की जाये
१। नमाज़ जब उस का वक़्त हो जाए,
२। जनाज़ा जब आ जाए,
३। बेनिकाह शख्स (मर्द हो या औरत) जब उस का जोड़ा मिल जाए"

लड़के की माली हैसियत इतनी है के महर अदा कर के औरत का नानो नफ़्क़ाह-ज़रूरी खर्चा बर्दाशत कर सकता है, और निकाह न करने की सुरत में ज़िना में मुब्तला होने का यक़ींन है, तो ऐसी सुरत में निकाह करना वाज़िब और ज़रूरी है।
पहले बहन फिर भाई, ऐसी तर्तीब शरीअत से साबित नहीं, जोड़ा मिल गया फिर भी निकाह तरतीब के बहाने नहीं किया और आजकल की बे पर्दगी और बेहयाई के माहोल में लड़का ज़िना में मुब्तला हुवा तो माँ बाप भी गुनेहगार होंगे।

२⃣।
हज़ूर सलल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया, "जब किसी ऐसे शख्स की तरफ से पैग़ाम आ जाये जिस के अख़लाक़ और दींन से तुम मुत्मइन हो, तो फ़ौरन शादी कर दो, वरना ज़मीन के अंदर अज़ीम फितना व फसाद बरपा होगा"
(जो आजकल जीना,  ईर्तिदाद और लड़का या लड़की के भाग जाने की सुरत में हमारे सामने आ रहा है) !

📗तिर्मिज़ी १\१४८

इस हदीस में अचछे रिश्ते का में`यार माल, खानदान या खूबसूरती को नहीं बनाया गया, बल्के सिर्फ दीनदारी, अच्चे अख़लाक़ हो तो निकाह का पैगाम ठुकराना बहुत बुरा और फ़ितनो और गुनाहों का सबब क़रार दिया है।

و الله اعلم بالصواب

*🌙🗓इस्लामी तारीख* 
२२ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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💍मंगेतर को अंगूठी पहनाना

*💍मंगेतर को अंगूठी पहनाना*

⭕आज का सवाल नंबर १५६२⭕

आज-कल यह रिवाज हो रहा है के लड़का लड़की की मंगनी होती है तो लड़का लड़की एक दूसरे को अपने हाथों से अंगूठी पहनाते हैं, फिर स्टेज पर दोनों को आजु-बाजु में कुरसी पर बिठाया जाता है, तो शरीअत की रौशनी में ऐसा करना कैसा है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

शरीअत में मंगनी एक मुआहदा-आपस का एग्रीमेंट है,  इसके होने के बा वजूद दोनों अजनबी और ना महरम ही शुमार होंगे, एक दूसरे को देखने की और हाथ लगाने की बिलकुल इजाज़त नहीं, इसमें चंद खराबियां पायी जाती है।

१⃣।
अंगूठी पहनाने में एक दूसरे को हाथ लगाना लाजिम आता है, जो बड़ी बे हयाई, बे गैरती और हराम है, ये हाथों और आँखों का खुला हुवा ज़िना है।

२⃣।
एक दूसरे के बाजू में बेठेंगे तो लड़के को लड़कियां देखेंगी और लड़की को लड़के देखेंगे, इस तरह का मख़लूत (मिक्स्ड) मेलजोल कई खराबियां और फ़ितने का सबब है।

३⃣।
ब'एज़ जगह लड़के को सोने की अंगूठी पहनाई जाती है, सोने का कोई भी ज़ेवर मर्द के लिए हराम है, सिर्फ चांदी की साढे चार मशा याने ४ ग्राम ३७४ मिलिग्राम की अँगूठी की इजाज़त है, इस से ज़ियादह वज़न की इजाज़त नहीं।

४⃣।
सास ससुर वगैरह के नाराज़ होने की फ़िक्र की जाती है, अल्लाह की नाराज़गी की परवाह नहीं की जाती है, अल्लाह नाराज़ हो गया तो यह रिश्ता होने से पहले ही टूट जायेगा, या होने के बाद भी लडाई झगडे होंगे और बरकते और सुकून ख़त्म हो जाएगा

५⃣।
बा-काईदा लोगों को जमा कर के इस तरह मंगनी करना यह गैर क़ौम का तरीक़ा है हुज़ुर  ﷺ  ने फ़रमाया है, जिसने जिस क़ौम की मुशाबेहत (कॉपी) इख़्तियार की कल क़यामत के दिन उस का हश्र उसी के साथ होगा।

लिहाज़ा जहां ऐसा तरीक़ा अपनाया जा रहा हो दीनदार लोगों को चाहिए के उसे रोके और करने वालों को समझाए, *लोगों ने नाजाइज़ काम पर रोकना टोकना छोड़ दिया है, इसलिए लोगों ने ग़ैरों के तरीक़ों को बिला जिझक और बिला ख़ौफ़ इख़्तियार करना शुरु कर दिया है।*

अल्लाह हमें इससे बचने और बचाने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन।

📗इस्लामी शादी से माखूज़

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२१ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
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💍मंगेतर को अंगूठी पहनाना

*💍मंगेतर को अंगूठी पहनाना*

⭕आज का सवाल नंबर १५६२⭕

आज-कल यह रिवाज हो रहा है के लड़का लड़की की मंगनी होती है तो लड़का लड़की एक दूसरे को अपने हाथों से अंगूठी पहनाते हैं, फिर स्टेज पर दोनों को आजु-बाजु में कुरसी पर बिठाया जाता है, तो शरीअत की रौशनी में ऐसा करना कैसा है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

शरीअत में मंगनी एक मुआहदा-आपस का एग्रीमेंट है,  इसके होने के बा वजूद दोनों अजनबी और ना महरम ही शुमार होंगे, एक दूसरे को देखने की और हाथ लगाने की बिलकुल इजाज़त नहीं, इसमें चंद खराबियां पायी जाती है।

१⃣।
अंगूठी पहनाने में एक दूसरे को हाथ लगाना लाजिम आता है, जो बड़ी बे हयाई, बे गैरती और हराम है, ये हाथों और आँखों का खुला हुवा ज़िना है।

२⃣।
एक दूसरे के बाजू में बेठेंगे तो लड़के को लड़कियां देखेंगी और लड़की को लड़के देखेंगे, इस तरह का मख़लूत (मिक्स्ड) मेलजोल कई खराबियां और फ़ितने का सबब है।

३⃣।
ब'एज़ जगह लड़के को सोने की अंगूठी पहनाई जाती है, सोने का कोई भी ज़ेवर मर्द के लिए हराम है, सिर्फ चांदी की साढे चार मशा याने ४ ग्राम ३७४ मिलिग्राम की अँगूठी की इजाज़त है, इस से ज़ियादह वज़न की इजाज़त नहीं।

४⃣।
सास ससुर वगैरह के नाराज़ होने की फ़िक्र की जाती है, अल्लाह की नाराज़गी की परवाह नहीं की जाती है, अल्लाह नाराज़ हो गया तो यह रिश्ता होने से पहले ही टूट जायेगा, या होने के बाद भी लडाई झगडे होंगे और बरकते और सुकून ख़त्म हो जाएगा

५⃣।
बा-काईदा लोगों को जमा कर के इस तरह मंगनी करना यह गैर क़ौम का तरीक़ा है हुज़ुर  ﷺ  ने फ़रमाया है, जिसने जिस क़ौम की मुशाबेहत (कॉपी) इख़्तियार की कल क़यामत के दिन उस का हश्र उसी के साथ होगा।

लिहाज़ा जहां ऐसा तरीक़ा अपनाया जा रहा हो दीनदार लोगों को चाहिए के उसे रोके और करने वालों को समझाए, *लोगों ने नाजाइज़ काम पर रोकना टोकना छोड़ दिया है, इसलिए लोगों ने ग़ैरों के तरीक़ों को बिला जिझक और बिला ख़ौफ़ इख़्तियार करना शुरु कर दिया है।*

अल्लाह हमें इससे बचने और बचाने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन।

📗इस्लामी शादी से माखूज़

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२१ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
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💍MANGETAR (FIANCEE)  KO ANGUTHI PEHNANA

*💍MANGETAR (FIANCEE)  KO ANGUTHI PEHNANA*

⭕AAJ KA SAWAL NO.1562⭕

Aaj-kal yeh riwaj ho raha hai ke ladka ladki ki mangani hoti hai to ladka ladki ek dusre ko apne haathon se anguthi pehnate hain fir stage par dono ko aaju-baju me kursi par bithaya jaata hai, to shareeat ki roshni me aisa karna kaisa hai?

🔵JAWAB🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

Shareeat me mangani ek muaahada-aapas ka agreement hai,  iske hone ke ba wajood dono ajnabi aur naa mahram hi shumar honge ek dusre ko dekhne ki aur haath lagane ki bilkul ijazat nahin, isme chand kharabiyan paayi jati hai.

1⃣. Anguthi pehnane me ek dusre ko haath lagana lazim aata hai jo badi be hayai, be gairati aur haraam hai haathon aur aankhon ka khula huva zina hai.

2⃣. Ek dusre ke baaju me bethenge to ladke ko ladkiyan dekhegi aur ladki ko ladke dekhenge is tarah ka makhloot (mixed) mailjhol kayi kharabiyan aur fitne ka sabab hai.

3⃣. Ba'az jagah ladke ko sone ki anguthi pehnayi jaati hai, sone ka koi bhi zewar mard ke liye haraam hai, sirf chandi ki saade char masha ya'ani 4 gram 374 miligram ki anguthi ki ijazat hai is se ziyadah wazan ki ijazat nahin.

4⃣. Saas sasur wagairah ke na-raaz hone ki fikr ki jaati hai, Allah ki na-raazgi ki parwah nahin ki jaati hai, Allah na-raaz ho gaya to yeh rishta hone se pehle hi toot jayega ya hone ba'ad bhi ladayi jhagde honge aur barakate aur sukoon khatm ho jayega

5⃣. Ba-qaidah logon ko jamaa kar ke is tarah mangni karna yeh gair qaum ka tareeqa hai Huzur صلی اللہ علیہ وسلم  ne farmaya jisne jis qaum ki mushabahat (copy) ikhtiyar ki kal qayamat ke din us ka hashr usi ke sath hoga.

Lihaza jahaan aisa tareeqa apnaya jaa raha ho deen daar logon ko chahiye ke use roke aur karne walon ko samjhaye logon ne na-jaiz kaam par rokna tokna chhod diya hai isliye log gairon ke tareeqon ko bila jijhak aur bila khauf ikhtiyar karna shurua kar diya hai.

Allah hame isse bachne aur bachane ki taufeeq ataa farmaye...

📗ISLAAMI SHADI SE MAKHOOZ

و الله اعلم بالصواب

*🌙🗓ISLAMI TAREEKH* : 21 RABEEUL AWWAL 1440 HIJRI

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Thursday, November 29, 2018

ISALE SAWAB ZINDON KE LIYE

*ISALE SAWAB ZINDON KE LIYE*

⭕AAJ KA SAWAL NO.1561 ⭕

Isale sawab jis tarah murdon ko kar sakte hain usi tarah zindon ko bhi kar sakte hain?

🔵JAWAB🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

Haan isale sawab zindon ko bhi karna durust hai.

📗FATAWA QASMIYA 19/189

📘SHAMI KARANCHI 2/595

و الله اعلم بالصواب

*🌙🗓ISLAMI TAREEKH* : 20 RABEEUL AWWAL 1440 HIJRI

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इसाले सवाब ज़िन्दों के लिए

*इसाले सवाब ज़िन्दों के लिए*

⭕आज का सवाल नंबर १५६१ ⭕

इसाले सवाब जिस तरह मुर्दों को कर सकते है, ज़िन्दों को भी कर सकते है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

*हां, इसाले सवाब ज़िन्दों को भी करना दुरुस्त है।*

📗फतावा कास्मिया १९/१८९
📘 शामी करांची २/५९५

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२० रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
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Wednesday, November 28, 2018

पब्जी (PUBG) गेम खेलना

*पब्जी (PUBG) गेम खेलना*

⭕आज का सवाल नंबर १५६०⭕

पब्जी (PUBG) गेम खेलना कैसा है?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

पब्जी (PUBG) गेम में नीचे दी गई खराबी पाई जाती है।

१।
इस गेम की ऐसी लत- नशा होता है के आदमी गेम खेलते हुवे सर उठाकर नहीं देखते के कोन आया है, और इसे धुन होती है, ये भी नहीं पता चलते के कोन क्या केह रहा है, क्यूँ के कान में हेंड फ्री एयर फोन भी लगा होता है।

२।
नमाज़ का क़ज़ा कर देना।

३।
गफलत की हद ये हो चुकी है के दिन तो दिन, रात को भी इस में मशगुल रेहना, और घंटों तक लगातार खेलते रेहना, जिस की वजह से बाज़ मर्तबा रात भर न सोना।

४।
पब्जी (PUBG) गेम में जिस से लड़ाई होती है बाज़ मर्तबा उन में अक्सर आदमी आधे नंगे कर दिए जाते है उन के सतर को देखना।

६।
रात दिन जीतने की धुन और फ़िक्र सवार हो जाना, जिस की वजह से पढाई में, दीनी या दुनयवी काम में दिल न लगना।
    
७।
बच्चों का स्कूल मद्रसह, और बडों में दुकान वालों का दुकान से, नौकरीवाले का नोकरी से ग़ाफ़िल हो जाना, जिस की वजह से देर से ड्यूटी अंजाम देना या डयूटी पर ही न जाना।

८।
माँबाप, बीवी बच्चों और भाई बहन वगैरह के हुक़ूक़ में कोताही करना उन का कोई काम न करना।

९।
पब्जी (PUBG) गेम खेलने के दौरान कोई उन से बात करना चाहे या काम सुपुर्द करे तो इन्तिहाई ग़ुस्से होना और मिजाज़ चिडचिडा हो जाना।

१०।
इन नुक़सानात की वजह से कोई उन का मोबाइल लेना चाहे तो उस को दुश्मन समझना और बाज़ मर्तबा उन पर हमला कर देना,
दिल्ही के वसंत कुंज इलाके में १९ साल के एक लड़के ने अपने माबाप और बहन को जो इस पब्जी (PUBG) गेम से बार बार उसको रोकते थे उन्हें क़त्ल कर दिया।

११।
उस गेम खेलनेवालों का दिमाग़ी तवाज़ुन ख़त्म हो जाना और दिमाग़ी मरीज़ मानसिक बीमार हो जाना।

१२।
इस की वजह से रिश्ते टूटना, अभी तक एक रिपोर्ट के मुताबिक़  २०० तलाक़ पब्जी (PUBG) गेम की वजह से हो चुकी है।

👆🏻
इन वुजुहात की बुन्याद पर ये पब्जी (PUBG) गेम जो सेकड़ों गुनाह कै असबाब बनता है खेलना जाइज़ नहीं।  *माँ बाप और ज़िम्मेदारों को चाहिए के अपनी अवलाद और मातहतों, अपने अंदर के लोगों को उमूमन तमाम गेमों से और ख़ुसूसन इस गेम से दूर रखे।*

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१९ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
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पब्जी (PUBG) गेम खेलना

*पब्जी (PUBG) गेम खेलना*

⭕आज का सवाल नंबर १५६०⭕

पब्जी (PUBG) गेम खेलना कैसा है?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

पब्जी (PUBG) गेम में नीचे दी गई खराबी पाई जाती है।

१।
इस गेम की ऐसी लत- नशा होता है के आदमी गेम खेलते हुवे सर उठाकर नहीं देखते के कोन आया है, और इसे धुन होती है, ये भी नहीं पता चलते के कोन क्या केह रहा है, क्यूँ के कान में हेंड फ्री एयर फोन भी लगा होता है।

२।
नमाज़ का क़ज़ा कर देना।

३।
गफलत की हद ये हो चुकी है के दिन तो दिन, रात को भी इस में मशगुल रेहना, और घंटों तक लगातार खेलते रेहना, जिस की वजह से बाज़ मर्तबा रात भर न सोना।

४।
पब्जी (PUBG) गेम में जिस से लड़ाई होती है बाज़ मर्तबा उन में अक्सर आदमी आधे नंगे कर दिए जाते है उन के सतर को देखना।

६।
रात दिन जीतने की धुन और फ़िक्र सवार हो जाना, जिस की वजह से पढाई में, दीनी या दुनयवी काम में दिल न लगना।
    
७।
बच्चों का स्कूल मद्रसह, और बडों में दुकान वालों का दुकान से, नौकरीवाले का नोकरी से ग़ाफ़िल हो जाना, जिस की वजह से देर से ड्यूटी अंजाम देना या डयूटी पर ही न जाना।

८।
माँबाप, बीवी बच्चों और भाई बहन वगैरह के हुक़ूक़ में कोताही करना उन का कोई काम न करना।

९।
पब्जी (PUBG) गेम खेलने के दौरान कोई उन से बात करना चाहे या काम सुपुर्द करे तो इन्तिहाई ग़ुस्से होना और मिजाज़ चिडचिडा हो जाना।

१०।
इन नुक़सानात की वजह से कोई उन का मोबाइल लेना चाहे तो उस को दुश्मन समझना और बाज़ मर्तबा उन पर हमला कर देना,
दिल्ही के वसंत कुंज इलाके में १९ साल के एक लड़के ने अपने माबाप और बहन को जो इस पब्जी (PUBG) गेम से बार बार उसको रोकते थे उन्हें क़त्ल कर दिया।

११।
उस गेम खेलनेवालों का दिमाग़ी तवाज़ुन ख़त्म हो जाना और दिमाग़ी मरीज़ मानसिक बीमार हो जाना।

१२।
इस की वजह से रिश्ते टूटना, अभी तक एक रिपोर्ट के मुताबिक़  २०० तलाक़ पब्जी (PUBG) गेम की वजह से हो चुकी है।

👆🏻
इन वुजुहात की बुन्याद पर ये पब्जी (PUBG) गेम जो सेकड़ों गुनाह कै असबाब बनता है खेलना जाइज़ नहीं।  *माँ बाप और ज़िम्मेदारों को चाहिए के अपनी अवलाद और मातहतों, अपने अंदर के लोगों को उमूमन तमाम गेमों से और ख़ुसूसन इस गेम से दूर रखे।*

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१९ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

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TALAQ SHUDA AURAT KI IDDAT & IDDAT SE ZIYADAH KHARCHA LENE KA HUKM*

💸. *TALAQ SHUDA AURAT KI IDDAT & IDDAT SE ZIYADAH KHARCHA LENE KA HUKM*

⭕AAJ KA SAWAL NO.1559⭕

Mutallaqah ki iddat kitni hai aur iddat ke baad dusre nikah hone tak ya poori zindagi ka kharcha court dilwaye to lena jaiz hai ya nahin?

🔵JAWAB🔵

حامد و مصلیا و مسلما

Fatawa raheemiyah me hai: Mutallaqah aurat iddat ke kharche ki haqdar hai. dusre nikah ya wafaat tak ka nafqah talab karne ka haq nahin hai.

*Islami qanoon ke muqabalah me hukoomat (sarkari) qanoon ko tarjeeh dena (usper pehle amal karna) aur us ko pasand karna aur us ke mutabiq nafqah (kharcha) hasil karna zulm aur haraam hai aur iman ko khatre me dalna hai.*

📗Fatawa raheemiyah 5/409)

Ek aur jagah likhte hain: mutallaqah aurat ke liye sharaee hukm yeh hai ke agar usko haiz aata ho to teen haiz tak, haiz na aata ho to teen maheene tak, hamilah ho to hamal janane tak nano nafqah  (kharcha) diya jaaye, *iske alawah kharcha lena Qurani taalimat ke bilkul khilaf hai aur hudoodUllah (shareeat) ki boundary se aage nikal jaana hai aur shohar par zulm wa ziyadati Hai.*

📘MAHMOODUL FATAWA 6/364 BAHAWALLA

📔FATAWA RAHEEMIYAH 5/417

و اللہ اعلم بالصواب

*🌙ISLAMI TARIKH: 18 RABIUL AWWAL 1440 HIJRI*

✏IMRAN ISMAIL MEMON HANFI GUFIRA LAHOO
MUDARRISE DARUL ULOOM RAMPURA SURAT GUJRAT INDIA

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💸 *तलाक़ शुदा औरत की इद्दत और इद्दत से ज़यादा खरचा लेने का हुक्म

💸 *तलाक़ शुदा औरत की इद्दत और इद्दत से ज़यादा खरचा लेने का हुक्म*

⭕आज का सवाल नंबर १५५९⭕

*मुतल्लक़ाह की इद्दत कितनी है और इद्दत के बाद दूसरे निकाह होने तक या पूरी ज़िन्दगी का खर्चा कोर्ट दिलवाये तो लेना जाइज़ है या नहीं ?*

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

फतावा रहीमियहमें है के : मुतल्लक़ाह औरत इद्दत के खर्चे की हक़दार है।दुसरे निकाह या वफ़ात तक का नफ़्क़ाह तलब करने का हक़ नहीं है।

*इस्लामी क़ानून के मुक़ाबला में हुकूमत -सरकारी क़ानून को तरजीह देना (उस पर पहले अमल करना) और उस को पसंद करना और उस के मुताबिक़ नफ़्क़ाह -खर्चा हासिल करना ज़ुल्म और हराम है, और इमान को खतरे में डालना है।*

📗फ़तावा रहीमियह ५/४०९

एक और जगह लिखते हैं के: मुतल्लक़ाह औरत के लिए शरई हुक्म ये है के अगर उस को हैज़ आता हो तो तीन हैज़ तक, हैज़ न आता हो तो तीन महीने तक, हामिला हो तो हमल जनने तक नानो नफ़्क़ाह -खर्चा दिया जाये, *इस के अलावह खर्चा लेना क़ुरानी तालीमात के बिलकुल खिलाफ है और हुदूदुल्लाह -शरीअत की बाउंड्री से आगे निकल जाना है, और शोहर पर ज़ुल्म वा ज़यादती है।*

📘महमूदुल फ़तावा ६/३६४ बहवाला
📔फ़तावा रहीमियह ५/४१७

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१८ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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Sunday, November 25, 2018

मस्जिद में सुन्नत कहाँ पढ़े

*मस्जिद में सुन्नत कहाँ पढ़े*

⭕आज का सवाल नंबर १५५८⭕

मस्जिद में फज्र, ज़ोहर की सुन्नत कहाँ पढनी चाहिए ? लोग कहीं भी पढते लेते है।

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما
मस्जिद में सुन्नत सहन-वरांडे में पढनी चाहिए।सहन या कोई अलग जगा न हो तो मस्जिद के कोने में इस तरह पढनी चाहिए के आने जाने में और जमाअत खड़ी हो जाये तो सफ बनाने में कोई हरज-तकलीफ और इश्तिबाह-गलत फहमी न हो के ये सुन्नत पढ़ रहा है या जमात से फ़र्ज़ पढ़ रहा है।

इस के खिलाफ करना मकरूहे तहरीमी है, इस बारे में छोटी मस्जिदों में बड़ी कोताही पाई जा रही है, इस तरफ तवज्जुह करने की ज़रूरत है।

📗दरसी बहिश्ती ज़ेवर सफा १५२ से माखूज

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१७ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

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MASJID ME SUNNAT KAHAAN PADHE

*MASJID ME SUNNAT KAHAAN PADHE*

⭕AAJ KA SAWAL NO.1558⭕

Masjid me fajr, zohar ki sunnat kahaan padhni chahiye?

Log kahin bhi padhte lete hain.

🔵JAWAB🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

Masjid me sunnat sahan (varande) me padhni chahiye, sahan ya koi alag jagah na ho to masjid ke kone me is tarah padhni chahiye ke aane jane me aur jamaat khadi ho jaaye to saf banane me koyi haraj (taklif) aur ishtibah (galat fahmi) na ho ke yeh sunnat padh raha hai ya jamaat ke saath farz padh raha hai,

*_Iske khilaf karna makrooh e tahrimee hai_*

Is baare me chhoti masjidon me badi kotahi paayi jaa rahi hai, is taraf tawajjuh karne ki zarurat hai.

📗DARSI BAHISHTI ZEWAR SAFA 152 SE MAKHOOZ

و الله اعلم بالصواب

*🌙🗓ISLAMI TAREEKH* : 17 RABEEUL AWWAL 1440 HIJRI

✍🏻Mufti Imran Ismail Memon Hanafi Chishti.
🕌 Ustaze Darul Uloom Rampura, Surat, Gujarat, India.

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Saturday, November 24, 2018

FUTU DEKHAKAR CHEEZ BECHNA

*FUTU DEKHAKAR CHEEZ BECHNA*

⭕AAJ KA SAWAL NO.1556⭕

Tijarat me ye surat bahut aam ho chuki hai ke bade bade tajir jin ko whole saler kaha jata hai khud ya kisi aejant ke zariye retail me bechne wale ke pas rangin ya sada fotu,image dekhne ke liye bhej dete hain aur us ki tafsilat bhi likh dete hain aur fir kharidar un ko dekhne ke baad order deta hai to sharan ye muaamalah jaiz hai?

🔵 AAJ KA JAWAB🔵

حامدا و مصلیا و مسلما
  Han ye surat shar'an jaiz hai albattah is surat me kharidnewale ko khiyare ruyat hasil hoga yani order dee hui cheezen jab us ko mil jaye to dekhne ke bad kharidar ko ikhtiyar hoga chahe to tay ki hui puri qeemat me le le ya wapas kar de.Aebnikalkar paise kam nahi kara sakta.
Kyun ke fotu me us ki puri haqeeqat maloom nahi hoti isliye wapasi ke ikhtiyar shareeat ki taraf se milta hai.

📗MUHAQAQ WA MUDALAL JADEED MASAIL SAFA 332 SE MAKHOOZ

HAZRAT MUFTI JAFAR MILLI RAHMANI SAHAB KI
و اللہ اعلم
📝 Mufti Imran Ismail Memon.

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Friday, November 23, 2018

मीलाद् की नियाज़ खाने का हुक्म


*मीलाद् की नियाज़ खाने का हुक्म*

⭕आज का सवाल नम्बर १५५४⭕

ईद ए मीलादुननबी ﷺ  की नियाज़ खाना कौन सी सूरत में जायज़ और कौन सी सूरत में नाजायज़ है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

ईद ए मीलादुननबी ﷺ  की  ताईंन १२ ही तारिख तय करने के  साथ खाना  पकाना (लोगों को जमा करना) वग़ैरह ग़ुमराह करने वाली बिदअत है, उस से बचना ज़रूरी है, और अगर खाने  में निय्यत इसाले सवाब  की है तो  खाना मुबाह (न सवाब, न गुनाह)  और  सदक़ह है।

ओर  अगर  अकाबीरीन  के  नाम  पर  है (उन को राज़ी करने की, उन से क़रीब होने की निय्यत हो, अल्लाह के नाम पर न हुवा) गैरुल्लाह के नाम पर ज़बह करने की सूरत में दाखिल  होने की  वजह  से हराम है,  और  ऐसे  अक़ाइद  फ़ासिद  और  कुफ़्र  के  बाइस  है।

*( जाईज़ सूरत)👇🏻*

इसाले  सवाब अगर  दिन और  खास खाने  को तय किये बगैर सिर्फ अल्लाह को राज़ी करने के लिए हो तो मुस्तहब है, इसाले सवाब का खाना सिर्फ गरीब खाये, मालदार को खाना मना है।

📘मलफ़ूज़ात जिल्द ३ से माखूज़ (मौलाना अहमद रज़ा साहब बरेलवी)

अगर  दिन  और  खाने  को खास करने के  साथ हो तो  बिदअत है।

📗फतवा  रशीदिया /१३८
📘फ़तवा महमूदिया १५/४२९

ऐसे  मौक़ों  में इस तरह  के  खाने  पकाने  का  शरीअत में  कोई सुबुत नही, लिहाज़ा  ये काम  नाजाइज़  और  बिदअत  है, अगर  महज़  रसम  के  तोर  पर  पकाया  जाए,  सवाब  का  अक़ीदा  न  हो  तो  भी  उसमें  बिदअत  की  ताईद-होंसला अफजाई और रिवाज देना है, लिहाज़ा  उस से बचना लाज़िम है,  उसी  बिना पर  खाना  क़ुबूल  करने  से  भी  बचना  चहिये, इसके  बावुजूद ये  हराम  नहीं है।

📔अहसनुल फ़तवा १/३७५
(शैखुल हदीस मौलाना अहमद राहील सब दा. ब. मद्रसह कंजे मरगूब पाटन)

* जवाज़ पर अकाबीरीन इबरत से दलील पकड़ने का जवाब*
शाह अब्दुर रहीम दहेलवी रहमतुल्लाहि अलय्हि फरमाते है के :
मे विलादत के दिनों में हुज़ूर  ﷺ   को इसाले सवाब पहोंचने की निय्यत से खाना पक्वता था। एक बार ऐसा हुवा के मेरे पास कुछ न था के में खाना पक्वाता, भुने हुवे चनो के अलवाह, तो मेने उसी को लोगों में तक़सीम कर दिया।

इन जैसे बुज़ुर्गों की इबारतों में न विलादत की हद से ज़यादा रौशनी का तज़किराह है, न खाने के लिए लोगों का जमा करने का ज़िक्र (न १२ तारिख का ज़िक्र है, बलके लिखा है मवलूद यानि विलादत के दिनों में, ना जबरदस्ती का चंदा है, न शरीक न होने वालों को हक़ीर समझना है, न मंडप था, न रास्ता बांध कर के आने जाने वालों को तकलीफ पहुंचना है) लिहाज़ा इस से दलील पकड़ना सहीह नही।

📙(फतवा राशिदिययह १३७)

و اللہ اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१२ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
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TEL (HAIR-OIL) LAGAANE KA SUNNAT TARIQAH

*TEL (HAIR-OIL) LAGAANE KA SUNNAT TARIQAH*

⭕AAJ KA SAWAL NO.1555⭕

Tel (hair-oil) lagaane ka sunnat tariqah kya hai?

🔵JAWAB🔵

حامد و مصلیا و مسلما

Hazrat Aaishah rd. farmaati hain ke Huzur صلی الله عليه وسلم  jab tel lagaate to pehle bayen (left) hatheli me lete fir bhawon se shuruaat farmate, fir palkon par fir sar par lagate.

📗KANZUL UMMAL 7/234 HADEES NO.18299

Sharh e shir'atul islam kitab Safa 256 par hai ke palkon ke baad munchh darhee aur fir sar par lagate

📘SUNAN WA AADAAB SAFAA 67

Darhi mubarak me tel lagate to darhi ke us hisse se shurua farmate jo gardan se mila huva hai sar me tel lagate to peshani mubarak ke rukh se surua farmate.

📗KHASAILE NABAVI WA NABAVI LAYLO NAHAR SAFA 415

Ishq e nabavi ke da'ave karne walon se puchho tel lagane ka sunat tariqah kya hai?

✏IMRAN ISMAIL MEMON GUFIRA LAHOO

🕌USTAZE DARUL ULOOM RAMPURA SURAT GUJRAT INDIA

🌙ISLAMI TAARIKH: 13 RABIUL AVVAL 1440 HIJRI

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तेल (हेयर-ऑइल) लगाने का सुन्नत तरीका

*तेल (हेयर-ऑइल) लगाने का सुन्नत तरीका*

⭕आज का सवाल नंबर १५५५⭕

तल (हेयर-ऑइल) लगाने का सुन्नत तरीका क्या है?

🔵जवाब🔵

حامد و مصلیا و مسلما

हज़रात आइशा रदी. फरमाती हैं के हुज़ुर ﷺ  जब तेल लगाते तो पहले बाएं (लेफ्ट) हथेली में लेते फिर भवों से शुरुआत फ़रमाते, फिर पल्कों पर, फिर सर पर लगाते।

📗कंज़ुल उम्माल ७/२३४ हदीस १८२९९

शरहे ए शीर'अतुल इस्लाम किताब सफा २५६ पर है के पलकों के बाद मूंछ दाढ़ी और फिर सर पर लगाते।

📘सुनन व आदाब सफा ६७

दाढ़ी मुबारक में तेल लगाते तो दाढ़ी के उस हिस्से से शुरु फ़रमाते जो गरद्न से मिला हुवा है, सर में तेल लगाते तो पेशानी मुबारक के रुख से शुरू फ़रमाते।

📗खसाइले नबवी व नबवी लयलो नहार सफा ४१५

इशक़ ए नबवी के दावे करने वालों से पुछो तेल लगाने का सुनत तरीका क्या है ?
و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१३ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
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AETIKAF KE MAKRUHAAT

*AETIKAF KE MAKRUHAAT* ⭕AAJ KA SAWAL NO.2101⭕ Aetikaaf kin cheezon se makrooh hota hai?  🔵JAWAB🔵 Aetikaf niche dee hui baton se makrooh ho...