Saturday, December 30, 2017

११ ग्यारहवी की नियाज़

*११ ग्यारहवी की नियाज़*

⭕आज का सवाल न.१२२९⭕

११/गियारहवी की नियाज़ खाने की हक़ीक़त क्या है ?

क्या मालदार आदमी गियारहवी का खाना खा सकता है ?

और गरीबो का उस दावत में शिरकत का क्या हुक्म है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

किसी भी इस्लामी महीने की गियारहवी (११) तारीख को महबूबे सुब्हानी पीराने पीर हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी रह. की निय्यत से जो खाना पकाया जाता है उसे गियारहवी कहते हैं.

📗इख्तिलाफ ए उम्मत और सिरते मुस्तक़ीम
हज़रत मुफ़्ती युसूफ लुधयानी शहीद रह. की किताब

गर वह खाना हज़रत शैख़ रह. के नाम की मन्नत का हो तो वह हराम है, और उनके नाम की मन्नत मानना शिर्क है, मन्नत सिर्फ अल्लाह के नाम की ही मानना जाइज़ है.

किसी ऊँचे से ऊँचे बुलंद रुतबा मख्लूक़ के नाम की मन्नत मानना हराम और शिर्क है, और ऐसी हराम मन्नत का खाना खाना मालदार और गरीब किसी के लिए भी जाइज़ नहीं.

📘(शामी: २/१२८ २/२९८)

अगर हज़रत शैख़ जीलानी रह. के इसाले सवाब की गरज़ से अल्लाह ता'अला के नाम की मन्नत मानी हो, या मन्नत माने बगैर हज़रत शैख़ के इसाले सवाब के खातिर पका कर खिलाये तो ऐसा खाना गरीब लोग खा सकते हैं, मालदार नहीं खा सकता, क्यों के मन्नत का खाना मालदार के लिए जाइज़ नहीं, और गरीबों को खिला कर सदक़ह का इसाले सवाब कर सकते हैं, इसाले सवाब के खाने के लिए कोई तारीख और दिन ज़रूरी समझना यह बिदअत और नाजाइज़ है.

📗शामी: १ फतावा महमूदियाः: १० /९८
📗जुब्दतुल फतावा गुजराती: १/२०६

फतावा सेक्शन
✏मुफ़्ती सिराज चिखली नवसारी गुजरात

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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