*नमाज़ में क़याम के बाद रुकू' सुजूद वगैरह के वाजिबात*
⭕आज का सवाल न. ११२४⭕
नमाज़ में क़याम के बाद रुकू' सुजूद और बाक़ी अरकान के वाजिबात क्या क्या हैं ?
जिसे जान बुझ कर छोड़ देने से सजदा ए सहव करे तो भी नमाज़ नहीं होगी.
और गलती से छोड़ देने से सजदा ए सहव कर लें तो नमाज़ हो जाएगी.
वह बताने की गुज़ारिश.
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
नमाज़ में क़याम के ६ वाजिबात के बाद बाक़ी के १३ वाजिबात है जिसको को जानबूझ कर छोड़े तो सजदह ए सहव से भी नमाज़ नहीं होगी, अल्बत्ताह गलती से छूट जाने के बाद सजदह ए सहव करे तो नमाज़ हो जाएगी और सजदह ए सहव न करे तो नमाज़ नहीं होती वह यह हैं.
*क़याम के ६ वाजिबात कल सवाल नंबर ११२३ में बताये गए थे बाक़ी के हस्बे ज़ैल*👇🏻👇🏻
(७) कवमाह यानि रुकू से उठ कर सीधे खरे होना. (इस तौर पर के जिस्म की हरकत बंध हो जाये)
(८) सजदह में पेशानी नाक ज़मीं पर टेकना.
(९) जलसह करना यानि दोनों सजदों के दरमियान सुबहान अल्लाह की मिक़्दार में सीधे बैठना.
(१०) का’दाह ऊला यानि तीन और चार रकअत वाली नमाज़ में दो रकअत के बाद अत्तहिय्यात पढ़ने जितना बैठना.
(११) दोनों का’दो में अत्तहिय्यात का पढ़ना.
(१२) लफ़्ज़े सलाम पढ़ कर नमाज़ को ख़त्म करना.
(१३) तमाम अरकान को इत्मीनान से अच्छी तरह अदा करना. (बहुत जल्दी न करना जैसे के कवमाह और जलसह में बाज़ लोग जल्दी करते है).
(१४) नमाज़ के सभी अरकान को उसकी तरतीब से अदा करना यानि कोइ अरकान आगे या पीछे न हो जाए
अरकान की अदाएगी में ताख़ीर हो जाए या कोइ वाजिब भूल से छूट जाए तो सज्दए सहव का अदा कर लेना.
(१५) वित्र नमाज़ में क़ुनूत के लिए तकबीर कहना.
(१६) दू’आए क़ुनूत पढ़ना.
(१७) दोनों ईद में ६ ज़ाइद तकबीर पढ़ना.
(१८) ईद की दूसरी रकअत में रुकू की तकबीर कहना.
(१९) नमाज़ में सजदे की आयत पढ़ी जाए तो फ़ौरन सजदहे तिलावत का करना.
📘मसाइल नमाज़
📙तालीमुल इस्लाम
📗मालाबुद्द मिन्हु
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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