*मुहर्रम के महीने क्या करे क्या नहीं*
⭕आज का सवाल नंबर ११३२⭕
मुहर्रम के महीने में क्या करना चाहिए क्या नहीं ?
मशहूर बिदअतें क्या क्या है?
आज का जवाब
حامدا و مصلیا و مسلما
मुहर्रम के महीने को मातम और सोग का महीना क़रार देना जाइज़ नहीं, हराम है, और मुहर्रम के महीने में शादी वग़ैरा को ना मुबारक और नाजाइज़ समझना सख्त गुनाह और अहल-इ-सुन्नत वल जमात के अक़ीदे के खिलाफ है, इस्लाम ने जिन चीज़ों को हलाल और जाइज़ क़रार दिया हो ऐतेक़ादन या अमलन उनको नाजाइज़ और हराम समझने में इमान का खतराः है.
📔 फतवा रहीमिया ३/१९१.
🔟 मुहर्रम को ज़िक्र ए शहादत का बयान करना अगरचे सहीह रिवायतों से हो, या सबील लगा कर शरबत पिलाना या चंदा सबील शरबत में देना या दूध पिलाना ये सब सहीह नहीं है, और रवाफिज़ (शियाओं) से मुशाबेहत (सिमिलरटीज) की वजह से हराम है.
📔 फतावा रशीदिय १३९
🚩 ताज़िया साज़ी का नाजाइज़ होना और उसका ख़िलाफ़े दींनो इमान होना अज़हर मिनाश शम्स है, क़ुरान ए मजीद में है
"क्या तुम ऐसी चीज़ों की इबादत करते हो जिसको तुमने तराशा और बनाया है ?"
ज़ाहिर है के ताज़िया इंसान अपने हाथ से तराश कर बनता है और फिर मन्नत मानी जाती है और उससे मुरादें मांगी जाती हैं, उसके सामने औलाद सेहत की दुआएं की जाती हैं, सजदा किया जाता है उसकी ज़ियारत को हज़रत हुसैन रज़ी अल्लाहु अन्हु की ज़ियारत समझा जाता है ये सब बातें ईमान की रूह और इस्लाम की तालीम के खिलाफ नहीं ? ये सब बातें बिदअत और न-जाइज़ हैं.
📔 फतावा रहीमिया २/२७५
फतावा रशीदिया ५७६.
यौम ए आशूर के दिन के मुताल्लिक़ शरीयत ने ख़ास 2 चीज़ें बतलायी हैं:
रोज़ा रखना
2⃣अहल अयाल पर खाने पीने में वुस'त करना.
हदीस शरीफ में है के जिसने यौम ए आशूरा के दिन अपने बाल बच्चों पर खाने में वुस'त (कुशादगी) की तो अल्लाह ता'अला पूरे साल रोज़ी में इज़ाफ़ा करेंगे, इसके इलावा उस दिन के लिए और कोई हुक्म नहीं है.
📔 फतावा रहीमिया २/३८०.
मसाएल ए शिर्क बिदअत
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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