*नमाज़ के मकरूहात*
(मकरूहे तहरीमी)
⭕आज का सवाल नंबर ११२८⭕
नमाज़ में मकरूहे तहरीमी काम हो जाये तो क्या हुक्म है ?
नमाज़ में मकरूहे तहरीमी क्या क्या है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
*मकरूहे तहरीमी* से नमाज़ का सवाब इस के दरजात के ऐतिबार से कम हो जाता है
बाज़ मुहतात मुफ्तियाने इकराम ऐसी नमाज़ को जल्द से जल्द वक़्त के अंदर और वक़्त निकलने बाद भी लौटाना वाजिब कहते है.
और बाज़ मुफ्तियाने इकराम ये कहते है के ऐसी चीज़ो में नमाज़ कराहट के साथ पूरी हो जायेगी दोहराना वाजिब नहीं.
एहतियात यही समझ में आती है के नमाज़ दोहरा ले.
नमाज़ के ऐसे मकरूहे तहरीमी हस्बे ज़ैल है.👇
🔴(१) सदल यानि कपड़ों को लटकाना जैसे चादर साल सर पर डाल कर उस के दोनों किनारे लटका देना या कफनी या कोट या शेरवानी बिगड़ उसकी आस्तीनों में हाथ डाले जाए कंधो पर दाल लेना.
टखनों के निचे पेन्ट लटकने को भी अल्लम्ह इब्ने शामी ने सदल में शुमार कर के मकरूहे तहरीमी कहा है.
🔴(2) कपड़ों को मिटटी से या अस्तरी ख़राब होने से बचाने के लिए हाथ से रोकना या समेटना.
🔴(3) अपने कपड़ों या बदन से खेलना जैसे नाख़ून छीलना नाक को ऊँगली से कुरेदना.
🔴(४) पाखाना या पेशाब की हाजत होने की हालत में नमाज़ पढ़ना.
🔴(५) मर्दो को अपने बालो को सर पर जमा करके छोटा बांधना. औरतो को ऐसा कर के नमाज़ पढ़ना बेहतर हे.
🔴(6) कंकरियों को बार बार हटाना लेकिन अगर सजदह करना मुश्किल हो तो एक बार हटाने में हरज नहीं.
🔴(७) उंगलियां चटखाना या एक हाथ की उँगलियाँ दूसरे हाथ की उँगलियों में डालना.
🔴(8) कमर या कोख या कूल्हे पर हाथ रखना.
🔴 (९) क़िब्ले की तरफ से मुंह फेर कर देखना मकरूहे तहरीमी और सिर्फ निगाह कनखनियों-दीदे से इधर-उधर देखना मकरूहे तंज़ीही है
🔴(१०) कुत्ते की तरह बैठना यानि राने खरी करके बैठना और रानो को पेट से और घुटनो को सीने से मिला लेना और हाथो को ज़मीन पर रख लेना. सिर्फ पंजे पर बैठना मकरूहे तंज़ीही है
🔴(11) सजदों में दोनों कलाइयों को ज़मीन पर बिछा लेना मर्द के लिए मकरूह हे.
🔴(१२) किसी ऐसे आदमी की तरफ नमाज़ पढ़ना जो नमाज़ी की तरफ मुंह किये बैठा हो.
🔴(१३) ऐसी सफ के पीछे अकेले खड़ा होना जिस में जगह खाली हो.
🔴(१४) चादर या कोइ और कपडा इस तरह लपेट कर नमाज़ पढ़ना की जल्दी से हाथ न निकल सके.
🔴 (१५) कुहनियों तक आस्तीन चढ़ा कर नमाज़ पढ़ना.
अगर जल्दी में न उतरी हो तो नमाज़ के दौरान ही एक हाथ से वक़्फ़े वक़्फ़े से -ठहर ठहर के उतार ले एक रुक्न -तीन बार सुब'हान रबिय्यल अज़ीम कहा जाये इतनी देर तक लगातार न उतारे.
📚किताबुल मसाइल १/३६६ हवाला शामी २/५२२ ज़करिया
📗एहसनुल फतावा ३/४०४ से ४४६
📘फतावा कास्मियाह ७/३९७
و الله اعلم بالصواب
✏मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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