*मरीज़ की ईयादत करने का तरीक़ा*
⭕आज का सवाल नंबर १५०४⭕
मरीज़ की ईयादत करने का क्या तरीक़ा है और उस के क्या आदाब है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
मरीज़ की ईयादत के आदाब नीचे के मुताबिक़ है।
१। इयादत करने वुज़ू कर के जाए।
२। निययत अल्लाह की रज़ामंदी की, सुन्नत की आदायगी की, और हुसूले सवाब की हो, किसी दुनयावी फ़ायदाः हासिल करने या अपने मव्जूद न रहने के शिक़वे से बचने की न हो।
३। मरीज़ का मर्ज़ सख्त मालूम हो तो भी उसे हलके कर के बताये उसे शिफ़ा की उम्मीद दिलाये और कहे इंशा अल्लाह जलद अचछे हो जावोगे।
📗सुनने तिर्मिज़ी २०९४
४। मरीज़ की ईयादत इतनी वक़्त में करे जितनी देर में ऊँटनी के थन से दूध निकाला जाये यानीअफज़ल ईयादत ये है के वहां जलद से खड़ा हो जाए।
📗शुएबुल इमान
*अगर वहां ज़यादा बेठने से मरीज़ को ख़ुशी हो और शरई उज़्र न हो तो ज़यादा देर बेथ सकते है*
५। कोइ शरई रूकावट न हो तो मुकम्मल ईयादत ये है मरीज़ के सर पर हाथ रखे या उस के हाथ पर हाथ रखकर पूछे मिजाज़ कैसा है?
📗सुनने तिर्मिज़ी
६। मस्नून दुओं को पढ़े, ख़ुसूसन ये दुआ जिस की फ़ज़ीलत में आता है के जो इसे ७ बार पढ़े तो मौत का वक़्त तक़्दीर में न लिखा हो तो ज़रूर शिफ़ा होगी۔
اسئلڭ اللہ عظیم رب العرش العظیم ان یشفیک
अस अलुकललाहल अज़ीम रब्बिल अर्शिल अज़ीम। अन्य यशफियक" (अबू दावूद)
७। मरीज़ से दुआ की दरख़ास्त करे उस की दुआ क़बूल होती है।
📗इब्ने माजाह
📕सुनन व आदाब साफ ३१६ से माखूज़
🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२१ मुहर्रमुल हराम १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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