Sunday, October 21, 2018

इस्तिंजा करने का हुक्म

*इस्तिंजा करने का हुक्म*

⭕आज का सवाल नंबर १५२०⭕

मेने छोटा और बड़ा इस्तिंजा किया उसके बाद देखा के बैतुल खला में पानी नहीं था और कोई इंतिज़ाम न हो सका तो में वहाँ से उठ गया,
अब में ऐसी हालत में मस्जिद में आ सकता हु ? और नमाज़ पढ़ सकता हु ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

अगर पेशाब और पखाना निकलने की जगह से आजु बाजु फैला नहीं है नपाकि सिर्फ नकलने की जगह पर ही लगी है तो इस्तिंजा करना सुन्नत है।

अगर नपाकि निकलने की जगह से आगे बढ़ गयी है और वह निकलने की जगह को छोड़ कर अंदाज़ा किया जाए तो पतली नजासत दिरहम याने हथेली की गहरायी से ज़ियादह न फैली हो तो भी उसका धोना सुन्नत है, और हथेली की गहरायी से ज़ियादह फैली हो तो उसका धोना वाजिब है ,और गढ़ी (जाड़ी, थिक) नजासत हो तो उसका फैलाव नहीं देखेंगे बल्के उसका वज़न देखेंगे, उसका वज़न एक दिरहैम याने ४ ग्राम ३७४ मिली ग्राम से ज़ियादह हो तो उसका धोना वाजिब है, ऐसी नजासत के साथ न मस्जिद में आना जाइज़, न उसकी नमाज़ होगी।

हां, दिरहम से कम होगी उसका धोना सुन्नत है तो उस हालत में मस्जिद में आ सकते है, नमाज़ भी हो जाएगी लेकिन उस कम नजासत को भी धो लेना बेहतर है, पूरा गुसल करने की ज़रूरत नहीं।

📗उम्दतुल फीकह १/३२५

📘मसाइलूल मीज़ान सफा ३८

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१९ सफर उल मुज़फ्फर १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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