*💊मेडिकल इन्शुरन्स लेने का हुकम*💉
⭕आज का सवाल नंबर १५३२⭕
मेडिकल इन्शुरन्स लेना कैसा है?
अगर बाज़ मुल्क़ों में जाने के लिए लेना ज़रूरी हो तो ले सकते हैं?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
मेडिकल इन्शुरन्स सुद, जुआ, ज़ुल्म और धोके का मज्मूअह है, इस में जित्ने पैसे भरे होते हैं बीमार होने की सुरत में उस से ज़ियादह मिळते हैं जो सूद है, जिसका हराम होना क़ुरान से साबित है।
बीमार हो तो नफ़ा के साथ पैसे मिलेंगे, न हो तो तो नहीं मिलेंगे, असल पैसे भी जायेंगे, पैसे वापस मिलने में नफ़ा नुक़सान दोनों इमकान है, लिहाज़ा जुए का भी गुनाह है, जिसका हराम होना भी क़ुरान से साबित है
📗सूरह माईदाह आयत ९०
येह मुआमला भी है लिहाज़ा बीमार न होने की सुरते में असल पैसे बयानाह वापस मिलना चाहिए जो नहीं मिलते लिहाज़ा ये ज़ुल्म भी है, अपने पैसे वापस लेने के लिए या बीमारी का खर्च कम हो तो ज़ियादह लेने के लिए जूठ धोका और रिश्वत भी दिया जाता है, लिहाज़ा मेडिकल इन्शुरन्स में सुद, जुआ, धोखा, जुठ, रिश्वत के गुनाह पाये जाने की वजह से हराम है।
📘महमूदुल फ़तवा जिल्द ३ सफा ३८४
ब हवाला
📕मेडिकल इन्शुरन्स शरीअते इस्लामी की रौशनी में सफा ९०
अगर किसी मूलक का क़ानून हो और लेना ज़रूरी हो तो मजबूरी है इसलिए ले सकते है।
📗किताबन नवाज़िल जिल्द ११
و الله اعلم بالصواب
🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२२ सफर उल मुज़फ्फर १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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