Wednesday, May 23, 2018

इस्तिंजा करने से रोज़ह टूटने की सूरत का हुक्म* *बवासीर पर दवाई लगाना*

*इस्तिंजा करने से रोज़ह टूटने की सूरत का हुक्म*
*बवासीर पर दवाई लगाना*

⭕आज का सवाल १३६६⭕

अ.
क्या बड़ा इस्तिंजा करते वक़्त साँस न रोका जाये तो पखाने के मक़ाम से पानी पेट में पहुंच जाता है ? बिला साँस रोके हम आम तौर पर इस्तिंजा करते है उस से रोज़ह टूट जाता है ?

ब.
बवासीर-मस्से-पाइल्स पर दवाई लगाने से रोज़ह टूट जायेगा?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

अ.
पखाने से मक़ाम पर पानी ऐसे ही पहुंचने की कोशिश किये बगैर नहीं पहुंचता है, क्यों के हुकनाः की जगह जहां से पिचकारी के ज़रिये दवाई पहुंचे जाती थी वह थोड़ा अंदर आंत-होजड़ी से मिला हुवा होता है, वहां पानी पहुंचे तो ही रोज़ह टूटता है. किसी को कांच (पिच्छे की जगा से गोल लाल हिस्साः निकल आना) निकल आया हो तो उस के बारे में तहावी में मसला लिखा है के पखाने के जगह से ज़ायद पानी झाड़ दिया जाये फिर उस पर पानी की तरी लगी होती है उस को कपडे से पोंछना वाजिब नहीं, अगर वह कांच जिस पर मामूली तरी हो अंदर चले जाये तो रोज़ह नहीं टूटेगा.
इस से मालूम हुवा के इस्तिंजा करने के बाद जो तरी सुराख पर लगी होती है उस के अंदर चले जाने से भी रोज़ह नहीं टूटता. लिहाज़ा साँस रोकने का तकल्लुफ करना फ़ुज़ूल है.

📗फतावा कास्मियाह ११/५०२ बा हवाला
📘फतावा राशिदियाः क़दीम ४५९ जदीद ४४५
📙तहतावी जदीद ६७६ क़दीम ३८०

ब.
यही हुक्म बवासीर का है, उस के बहार के मस्सों पर दवाई हाथ से लगाई जाये किसी -चीज़ से अंदर न लगाई जाये तो रोज़ह फ़ासिद नाहि होगा.

📕फतवा दारुल उलूम देवबंद .६/४११
मसाइले रमजान व अहकामे सदक़ह सफा ९६.

و الله اعلم بالصواب

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन

🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

📲💻
http://www.aajkasawal.page.tl

http://www.aajkasawalhindi.page.tl

http://www.aajkasawalgujarati.page.tl

गुज.हिंदी उर्दू पर्चों के लिए 
www.deeneemalumat.net

No comments:

Post a Comment

AETIKAF KE MAKRUHAAT

*AETIKAF KE MAKRUHAAT* ⭕AAJ KA SAWAL NO.2101⭕ Aetikaaf kin cheezon se makrooh hota hai?  🔵JAWAB🔵 Aetikaf niche dee hui baton se makrooh ho...