*जहेज़ (दहेज) के लेने देने का हुक्म*
⭕आज का सवाल नंबर १५७१⭕
*अ*
जहेज़ (दहेज) का लैन दैन करना कैसा है?
*ब*
बाज़ कमीटी भी जहेज़ का इंतेज़ाम करती है वह कैसा है?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
*अ*
जहेज़ लेने देने की २ सुरत है।
१. मुतालबा कर के याने माँगकर लेना ये रिश्वत के हुक्म में है, रिश्वत का लेना हराम है, और सख्त ज़रूरत के बगैर देना भी हराम है।
२. अगर बगैर माँगे रस्मो रिवाज की वजह से लड़कीवाले दे रहे है तो क़ायदा है के जो चीज़ मशहूर होती है वह शरत के दर्जे में होती है, लिहाज़ा बगैर मांगे ख़ामोशी से लेना भी जाइज़ नही।
हां लडकेवाले इन्कार कर दे के हम रस्मो रिवाज को नहीं मानते, हमें तो सिर्फ लड़की दे दो, फिर भी दे तो अगर अपनी हैसियत के मुताबिक, किसी भी क़िस्म का क़र्ज़ लिए बगैर और नुमाईश और दीखलावा किये बगैर दे तो लेने की गुंजाईश है, तो भी आला दर्जा बेहतर ये है के लेने से सख्त इंकार कर दिया जाये, क्यूँ के आमतौर पर जहेज़ की रस्म की पाबन्दी करना ही मक़सूद होती है, क्यूँ के अगर बेटी या दामाद को देना हो तो निकाह की तक़रीब में ही सब कुछ देने का इतना एहतेमाम क्यूँ किया जाता है !? अपनी अवलाद को रिश्तेदार को बगैर दिखलावा किये हमेशा थोड़ा थोड़ा इंसान देता रहता है, उस के लिए शादी ही के दिन के इंतिख़ाब की ज़रूरत न थी। लिहाज़ा जहेज़ की हिम्मत अफजाई न हो इसलिए न लेना ही बेहतर है।
📘किताबुल फ़तवा ४/४२५
📕आप के मसाइल ५/१३७ से माखुज़
*ब*
खिदमत की बाज़ कमिटी गरीबो के लिये, जल्द शादी करवा कर गुनाहों से बचने के लिए रस्मो रिवाज से बचकर सुन्नत के मुताबिक़ दीनी मज्लिस में निकाह और घरेलू ज़रूरी सामान का इंतिज़ाम करते है वह बहुत मुनासीब है।
📗फतावा महमूदियाः ११/२५७ से माखुज़
و الله اعلم بالصواب
🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
०१ रबीउल आखर १४४० हिजरी
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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