*निकाह के लिए दीन और माल में बराबरी*
⭕आज का सवाल नंबर १५९२⭕
औरत के निकाह के लिए शोहर की दीनदारी और माल में बराबरी का क्या मतलब है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
दीनदारी में बराबरी का मतलब यह है के ऐसा शख्स जो दीन का पाबन्द नहीं, बदमाश, गुंडा, शराबी और बदकार हो, ऐसा शख्स नेक बखत परहेज़गार, दीनदार औरत के बराबर नहीं समझा जाएगा।
ओर माल में बराबरी के माने ये है के बिलकुल मुफ़लिस, कँगाल, मोहताज़ शख्स, मालदार औरत के बराबर का नहीं है,
लीहाज़ा दोनों की शादी वाली, बाप, दादा वग़ैरा ज़िमेदार की इजाज़त के बगैर नहीं हो सकती।
ओर अगर वह बिलकुल मुफलिस नहीं बाल्कि जितना महर पेहली रात को देने का दस्तूर-रिवाज है उतना महर दे सकता हो, अगरचे पूरा महर एक साथ दे न सके और नफ़्क़ा-खर्चा भी, तो अपनी उस बीवी के जोड़ का और मुनासिब दे सकता है तो वह बराबरी ही का है ।
ओर यह ज़रूरी नहीं के जित्ने मालदार लड़की वाले हो वह भी उतना ही मालदार हो या उसके क़रीब क़रीब मालदार हो।
📗 फ़तावा आलमगिरि, २/२९९
📘दरसी बहिश्ती ज़ेवर सफा ३५३
و الله اعلم بالصواب
🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२१ रबी उल आखर १४४० हिजरी
✏हक़ का दायी अन्सार अहमद
®तस्दीक़ व इज़ाफ़ा
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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