Sunday, August 5, 2018

फ्रेंडशिप डे (दोस्ती का दिन) मनाना

🎁 *फ्रेंडशिप डे (दोस्ती का दिन) मनाना*🔗

⭕आज का सवाल नंबर १४३८⭕

हर साल अगस्त के पहले इतवार को फ्रेंशिप डे (यौमे दोस्ती) मनाया जाता है। इस में हम हमारे पुराने दोस्त को या जिस से नयी दोस्ती करनी है उस को या जो दोस्त नाराज़ हो उस को राज़ी करने के लिए इस दिन गिफ्ट, फ्रेंडशिप डे का कार्ड या उस के हाथ पर बेल्ट बांध देते है। अगर उस ने क़बूल कर लिया और जवाब में उस ने भी इन चीज़ों में से कोई चीज़ दी या किसी तरह मुहबबत और दोस्ती का इज़हार किया तो दोस्ती हो गई  ऐसा समझा जाता है।
तो फ्रेंड शिप डे इस तरह मनाना और दोस्ती करना इस्लामी शरीअत के ऐतिबार से कैसा है ?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

फ्रैंड शिप डे के बारे में तहक़ीक़ की तो पता चला ये अमेरिकी तेहवार है। जिस की इब्तिदा-शुरुआत १९३५ में हुई थी।

सोशल मीडिया की वजह से अब ये भारत में भी आम हो रहा है। ये उन नसारा की तहज़ीब-कल्चर है। उन के तरीके की तरफ हमारा मिलान और जुकाव होने से भी हमें मना किया गया है। उस पर जहन्नम की आग छु जाने की वईद सुनाई गई है।

📗सुरह हुद आयात ११३

तरीक़ा इख़्तियार करने की बात तो दुर रही उस को पसंद भी नहीं करना चहिये।
शरीअत में किसी भी नेकी और अचछे काम के किये अपनी तरफ से किसी दिन की तय करना मुनासिब नहीं।

दोस्ती करना या नाराज़ दोस्त को मानाने के लिए इस दिन का इन्तिज़ार करने की और इस तरह ताख़ीर करने की ज़रूरत नहीं।
दोस्त तो जब ज़रूरत हो तब बना लेना चाहिए या जब किसी को हमारी ज़रूरत हो किसी दिन का इन्तिज़ार किये बगैर उस का दोस्त बनकर उस की मदद करनी चहिये।

*इस्लाम दोस्ती की बुन्याद एक दूसरे का तावून और भलाई पर है।*

*काई दोस्त नाराज़ हो जाये और बातचीत बंध कर दे तो ३ दिन से ज़यादा ताल्लुक़ात तोड़े रखने जाइज़ नहीं।  इसलिए अपने दोस्त को अगस्त महीने के इन्तिज़ार किये बगैर जलद से जलद राज़ी करने की और आपस में मुआफी तलाफ़ी की कोशिश करनी चहिये।*

*ओर गिफ्ट-हदया देना और लेना शरीअत में पसन्दीदाह है। इस से मुहब्बत बढती है। लेकिन उस के लिए ग़ैरों के इन तकल्लुफ़ात और रस्म की पाबन्दी करने की इजाज़त नही।*

ओर मर्द की दोस्ती मर्द के साथ और औरत की दोस्ती औरत के साथ होनी चाहिए।

*लेकिन इस दिन में लोग इस शरई उसूल को तोड़ कर गैर महरम से दोस्ती मोज, मस्ती और ख़ाहिश पूरी करने के लिए करते है जो ज़िना तक पहोंचने का दरवाज़ा है। लिहाज़ा ऐसी दोस्ती हराम है। और गैर महरम से दोस्ती करना न हो तो भी इस दिन  को मनाना मना है।* इस दिन में दोस्ती करने से बचना चहिये

दोस्ती भी हर किसी से नही करनी चाहिए
इमाम ग़ज़ाली रहमतुल्लाही अलय्हि फ़रमाते है :
*जिस शख्स के साथ दोस्ती करनी हो उस में ५ चीज़ें होनी चहिये।*

💎१. अकल्मन्द हो,
💎२. अचछे अख़लाक वाला हो,
💎३. फासिक-खुल्लम खुल्ला गुनाह करनेवाला न हो,
💎४. बिदअती, कुफ़्र के काम करनेवाला न हो,
💎५. दुनिया कमाने पर हरीस-लालची न हो।

हज़रत ज़ैनुल आबिदीन रहमतुल्लाही अलय्हि की वसियत में ३ और सिफ़त का इजाफ़ा है।

💎६. बखील-कंजूस न हो,
💎७. जूठा न हो,
💎८. रिश्ता तोड़नेवाला न हो।

📗फ़ज़ाइले सदक़ात १/१३७

و الله اعلم بالصواب

*इस्लामी तारिख* :२२ ज़ी क़दह १४३९ हिज्री

✅तस्दीक़ मुफ़्ती जुनैद साहब पालनपुरी कलाबा मुम्बई

✅मुफ़्ती फ़रीद साहब कावी जम्बुसर

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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