Wednesday, November 28, 2018

ЁЯТ╕ *рддрд▓ाреШ рд╢ुрджा рдФрд░рдд рдХी рдЗрдж्рджрдд рдФрд░ рдЗрдж्рджрдд рд╕े реЫрдпाрджा рдЦрд░рдЪा рд▓ेрдиे рдХा рд╣ुрдХ्рдо

💸 *तलाक़ शुदा औरत की इद्दत और इद्दत से ज़यादा खरचा लेने का हुक्म*

⭕आज का सवाल नंबर १५५९⭕

*मुतल्लक़ाह की इद्दत कितनी है और इद्दत के बाद दूसरे निकाह होने तक या पूरी ज़िन्दगी का खर्चा कोर्ट दिलवाये तो लेना जाइज़ है या नहीं ?*

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

फतावा रहीमियहमें है के : मुतल्लक़ाह औरत इद्दत के खर्चे की हक़दार है।दुसरे निकाह या वफ़ात तक का नफ़्क़ाह तलब करने का हक़ नहीं है।

*इस्लामी क़ानून के मुक़ाबला में हुकूमत -सरकारी क़ानून को तरजीह देना (उस पर पहले अमल करना) और उस को पसंद करना और उस के मुताबिक़ नफ़्क़ाह -खर्चा हासिल करना ज़ुल्म और हराम है, और इमान को खतरे में डालना है।*

📗फ़तावा रहीमियह ५/४०९

एक और जगह लिखते हैं के: मुतल्लक़ाह औरत के लिए शरई हुक्म ये है के अगर उस को हैज़ आता हो तो तीन हैज़ तक, हैज़ न आता हो तो तीन महीने तक, हामिला हो तो हमल जनने तक नानो नफ़्क़ाह -खर्चा दिया जाये, *इस के अलावह खर्चा लेना क़ुरानी तालीमात के बिलकुल खिलाफ है और हुदूदुल्लाह -शरीअत की बाउंड्री से आगे निकल जाना है, और शोहर पर ज़ुल्म वा ज़यादती है।*

📘महमूदुल फ़तावा ६/३६४ बहवाला
📔फ़तावा रहीमियह ५/४१७

و الله اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
१८ रबीउल अव्वल १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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