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*ज़कात के आसान मसाइल*
PART-2
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*सवाल-जकात कब वाजिब होती है?*
जवाब - निसाब पर क़मरी (उर्दू) साल गुजर जाये तो जकात वाजिब होती है
*सवाल-अगर किसी शख्स का किसी फक़ीर (गरीब) पर कर्ज हो और वो उसे जकात की निय्यत से माफ करदे तो जकात अदा होगी या नही ?*
जवाब - जी नहीं
*सवाल - सोना चांदी की जकात मे सोना चांदी का तुकडा ही देना होगा या उसकी रकम.?*
जवाब - इख्तियार है
*सवाल - मसारिफे जकात मे फकीर किसे कहते हैं?*
जवाब - वो शख्स जो निसाब से कम का मालिक हो.
*सवाल - मसारिफे जकात में मिस्कीन किसे कहते हैं?*
जवाब - जो बिल्कुल किसी चीज का मालिक न हो
*सवाल - मसारिफे जकात में आमिल किसे कहते हैं ?*
जवाब - वो शख्स जिसे बादशाहे इस्लाम ने जकात व उश्र वसूलने पर मुक़र्रर किया हो
*सवाल - मसारिफे जकात मे मकरूज किसे कहते है?*
जवाब - जिसके जिम्मे कर्ज हो. कर्ज की अदायगी के बाद निसाबे कामिल का मालिक न रहता हो
*सवाल - मसारिफे जकात मे फी सबीलिल्लाह से क्या मुराद है?*
जवाब - ये वो लोग होते हैं जो अल्लाह की राह मे लगे होते हैं. या वो हुज्जाज जो हज के लिये तो निकले मगर जादे राह के खत्म होने से काबतुल्लाह तक न पहुंच पाये. इसी तरह राहे खुदा के मुजाहिद
*सवाल - मुसाफिर पर जकात की कितनी रकम खर्च की जाये ?*
जवाब - इतनी रकम की वो अपने वतन आसानी से पहुंच जाये
✏ तस्दीक़ मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन सूरत गुजरात
(Baaqi part 3 me inshaAllah)
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