*हाजी कितनी क़ुरबानी करे ?*
⭕आज का सवाल न. १८१६⭕
जो लोग हज में जाते है उन पर बक़रईद वाली मालदारी की क़ुरबानी वाजिब हे या नहीं.. ??
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا و مسلما
बकरा ईद वाली क़ुरबानी मालदार मुसाफिर पर वाजिब नहीं होती बल्कि अपने घर पर हो या कही १५ दिन या उस से ज़्यादा ठहरे तो क़ुरबानी वाजिब होगी, हाजी हज के दिनों को मिलकर १५ दिन मक्का में ठहरने वाला हे तो अगर वो मालदार हे तो उस पर बक़रईद वाली क़ुरबानी वाजिब होगी चाहे वहां करे चाहे अपने घर पर करवा ले, (हज की क़ुरबानी अलग हे उस का मसला अलग हे.) (जो हज़रात हज्जे तमत्तु या किरान करते है उन पर हज की क़ुरबानी तो वाजिब है ही और अगर वो मालदार और मुक़ीम है तो उन पर बक़रईद की क़ुरबानी भी वाजिब होगी) और अगर १५ दिन नहीं ठहरना तो वो मुसाफिर होगा उस पर बक़रईद वाली क़ुरबानी वाजिब नहीं.
नोट: जदीद ज़माने के ऐतेबार से अक्सर मुफ्तियाने किराम की राय के मुताबिक़ मीना मुज़दलफा अब मक्का के हुदूद में दाखिल हैं, लिहाज़ा उन दिनों को मिलकर १५ दिन हो जायेंगे तो वो मुक़ीम कहलायेगा और मालदारी की क़ुरबानी वाजिब होगी.
📚किताबुल मसाइल, महमूदुल फतावा, फ़िक़्ही सेमिनार का फैसला भी इसी पर हे.
و الله اعلم بالصواب
*🌙इस्लामी तारीख़*🗓
०७~ज़िल हिज्जह~१४४०~हिज़री
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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