*क़ुरबानी नहीं कर सका तो बड़े जानवर में हिस्सा लेने की शकल*
⭕आज का सवाल नंबर १८२३⭕
१.
क़ुरबानी वक़्त पर नहीं कर सका तो बाद में बड़े जानवर में हिस्सा ले कर क़ुरबानी करने की कोई शकल है ?
२.
कई साल की क़ुरबानी बाकी है तो इस की क़ज़ा कैसे करे ?
🔵जवाब🔵
१.
बाज़ अकाबीर की राय यह है के बड़े जानवर के सातवें (७वें) हिस्से की क़ीमत का सदक़ा करना भी काफी है, अलबत्ता अगर सातवें हिस्से की क़ीमत मुतवस्त बकरे की क़ीमत से कम है तो बकरे की क़ीमत देना अफ़ज़ल होगा (यानि सातवें हिस्सा की क़ीमत देने की भी गुंजाईश होगी)
२.
इसी मसला में किफ़ायतुल मुफ्ती (जदीद ८/२१२ मतबुआ दारुल ईशा'अत कराची) में है : ”क़ुरबानी के जानवर या गाय के सातवें हिस्सा की क़ीमत ख़ैरात करे। (जवाब : २७४)
फतावा दारुल उलूम देवबंद (१५:५१३ ) में है : ”वह शख्स हर एक बरस की क़ुरबानी के एवज़ क़ीमत क़ुरबानी की सदक़ा करे“
ओर एक दूसरे फ़तवा में है : "और कुरबानी की क़ीमत में मुतवस्त जानवर की क़ीमत और बड़े जानवर के सातवें हिस्सा की क़ीमत दोनों दाखिल है।
*दारुल इफ्ता दारुल उलुम देवबंद ऑनलाइन*
📥फतवा आईडी १३५९- १३६७ /
न = ११ / १४३५- यू
*बिन्नोरिया ऑनलाइन फ़तवा नंबर*
📤१४३७०१२०००१६
و الله اعلم بالصواب
*🌙इस्लामी तारीख़*🗓
१४~ज़िल हिज्जह~१४४०~हिज़री
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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