*हराम और नाजायज़ कमाई वाले के हिस्से में फ़र्क़*
⭕आज का सवाल नंबर १८१३⭕
जीस की कमाई साफ़ हराम हो,
और जीस की कमाई मकरूह हो,
उन के बड़े जानवर में हिस्से लेने में क्या फ़र्क़ है ?
अहसनुल फ़तावा और किताबुनवाज़िल के हवाले से जो मसला आया था उस में क्या ततबीक है ?
🔵जवाब🔵
حامدا و مصلیا مسلما
जीस की कमाई साफ़ हराम हो जैसे जुआ, शराब, सूद का कारोबार और चोरी की वही नाजाइज़ हराम रक़म से शिरकत करे तो वह खुद इन रक़म का शरई तौर पर मालिक नहीं हुवा है, इसलिए किसी भी शरीक की क़ुरबानी सहीह नहीं होगी।
और मकरूह कारोबार हो जैसे राखी, पतंग वगैरह बेचना तो उस से उन रक़म का वह मालिक हो जाता है, लिहाज़ा ऐसे मकरूह कारोबार वाले के साथ शिरकत सहीह हो जाएगी और क़ुरबानी अदा हो जाएगी।
परसु किताबंनवाज़िल के हवाले से जो जवाज़ आया था इस से यही सुरत मुराद है।
📚मुसतफद अज़ किताबंनवाज़िल २२/५४०
و الله اعلم بالصواب
*🌙इस्लामी तारीख़*🗓
०४~ज़िल हिज्जह~१४४०~हिज़री
✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन.
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.
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