Saturday, January 5, 2019

🎁शादी में तोहफे के लेन देन की खराबियां✉

*🎁शादी में तोहफे के लेन देन की खराबियां✉*

⭕आज का सवाल नंबर १६००⭕

शादी में खाने के बाद पैसे का कवर, नयोता, हदया, वेहवार देना कैसा है?

🔵जवाब🔵

حامدا و مصلیا و مسلما

फकीहुल असर हज़रत मुफ्ती रशीद लुधयानी रहमतुल्लाहि अलय्हि तहरीर फ़रमाते है : ऐसे न्यौते में चंद खराबियाँ है।

१।
ये हदया (वेहवार ,चांदला) की रक़म या सामान ज़बर्दस्ती वसूल किया जाता है, इस तौर पर के न देनेवालों बुरा कहा जाता है।
(आजकल तो निकलने के रस्ते पर टेबल ही लगा दिया जाता और नाम लिखे जाते है, इसलिए आदमी शरमा शरमी में न देने का इरादा हो तो भी दे देता है, शर्म में डालकर दिली रज़ामंदी के बगैर वसूल करना भी जाइज़ नहीं)

२।
देनेवाली की निय्यत शोहरत और नाम कमाने की होती है, ऐसी निय्यत से जाइज़ काम भी ना जाइज़ हो जाते है।

३।
उस रस्म को फ़र्ज़ और वाज़िब की तरह पाबन्दी और एहतेमाम से अदा किया जाता है
(हैसिय्यत या इरादा न हो तो भी देते है)
हालां के इस क़िस्म की पाबन्दी और ज़रूरी समझने से जाइज़ और मुस्तहब  काम को भी छोड़ देना वाज़िब हो जाता है।

४।
ये रक़म और सामान बा क़ायदा लिखा जाता है, जिन का मोके पर अदा करना ज़रूरी समझा जाता है, और सख्त ज़रूरत के बगैर क़र्ज़ का लेन दैन ना जाइज़ है।
क़र्ज़ होने की सूरत में उस की आदायगी ,मौत होने की सुरत में उस में विरासत की तक़सीम उस का ईस्तिअमाल और इन्तिक़ाल के बाद आइन्दह ये क़र्ज़ा किस को अदा किया जाये इस के बहुत से पेचीदह मसाइल खड़े हो जाते है, जो मुफ़्तियाँन व उलेमा ए किराम से मालूम किये जा सकते है।

लिहाज़ा ये लैन दैन नाजाइज़ है।

📗(अहसनुल फ़तावा ५/१४८ से माखूज़)

و اللہ اعلم بالصواب

🌙🗓 *इस्लामी तारीख़*
२९ रबी उल आखर १४४० हिजरी

✍🏻मुफ़्ती इमरान इस्माइल मेमन
🕌उस्ताज़े दारुल उलूम रामपुरा, सूरत, गुजरात, इंडिया.

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