*CREDIT,DEBIT,CHARGE CARD KE HUKM*
*क्रेडिट,डेबिट,चार्ज कार्ड का हुक्म*
*ક્રેડિટ ડેબીત ચાર્જ કાર્ડ કા હુકમ*
کریڈٹ کارڈ ،ڈیبٹ کارڈ،چارج کارڈ کا حکم*
⭕AAJ KA SAWAL NO. 887⭕
Aaj kal kai qism ke credit card bazar me chal rahe hai kiya un ko istiamal kar sakte hai?
🔵AL JAWAB🔵
Aaj kal 3 qism ke credit card mash’hoor hai,
1. DEBIT CARD
2. CHARGE CARD
3. CREDIT CARD
1. DEBIT CARD : is card ke rakhne wale ka account pehle se bank me maujud rahta hai, jis bank ka usne card haasil kiya hai, card rakhne wala jab bhi uske card ko istemal karta hai bank uske account me maujud raqam se uski adaaygi kar deti hai, isme card rakhne wale ko udhaar [credit] ki sahulat haasil nahi hoti hai, balke sirf us waqt tak card ko istiamal kar sakta hai jab tak uske account me raqam maujud hai, bank is card ko chaalu rakhne ki fees wasul karti hai, is card ka isteamal beshak jaiz hai, iske zariyeh kharido farokht-le bech durust hai, kyun ke isme na qarz ki surat hai na sood [vyaj, interest] ki, albatta card rakhne wale ki ye zimmedari hogi ke us card ko gair sharaee kaamo me isteamaal na karey.i
2. CHARGE CARD : is card ke rakhne wale ka bank me pehle se account nahi hota, balke bank card rakhne wale ko udhaar ki sahulat deti hai, card rakhne wale ko ek mutayyan [fix] dino ke udhaar ki sahulat milti hai, jisme us bank ko raqam adaa karna zarooree hota hai, agar us muddat me raqam ki adaaygi ho jaye to sood nahi lagta, albatta card rakhne wale ne waqt par adaaygi na ki to fir usko sood ke saath adaaygi karni padti hai, bank is card ko chaalu rakhne ki fees wasool karti hai, is card ko niche diye huwe sharait ke saath isteamaal karna jaiz hai.
[1] card rakhne wala is baat ka pura intezam kare, mutayan tay shudah waqt se pehle raqam ki adaaydi kar de aur kisi bhi waqt sood zimme me aane ka koi imkaan baaqi na rahe,
[2] card rakhne wale ki zimmedari hai ke us card ko gair sharaee kaamo me istemal na karey
3. CREDIT CARD : is card ke rakhne wale ka bank me koi account nahi hota balke muaahada [agreement] hi sood ke saath udhaar lene par karta hai, is muaahde me agar che bank ek mutayyan muddat deti hai, jisme agar card rakhne wala raqam ki adaaygi kar de to usey sood dena nahi padta, lekin shuruaat hi me muaahda sood ki buniyad par hota aur uski adaaygi ka waada hota hai, uske alawa isme muddat ko tajdeed-renew karne ki sahulat bhi maujud hoti hai jisse raqam ki adaaygi ki muddat badh jati hai, albatta uske saath saath sood ke -feesad-persontage me izaafa ho jata hai, baaz suraton me ziyad raqam li jati hai uska hukm ye hai ke us card ka istemaal jaiz nahi hai, magar ye ke debit card/charge card alag se na milta ho aur usko debit card aur charge card ki tarah upar diye huwe sharait ke saath istemaal kiya jaye, in tamaam card ko credit card kehg diya jata hai, lekin jo asal me credit card hai uska istemal jaiz nahi. Albatta credit card ka lafz upar di huwi 2 qism par bola jaye to istemal jaiz hai, unke alawa card ki ek qism jisko atm card kehte hai, ye raqam nikalne ka card hota hai, baaz dafaa uska paaya jana upar zikr kiye huwe card ke ziman-sath sath bhi hota hai, maslan ye mumkin hai ke debit card me atm me se rakam nikalne ki sahulat bhi maujud ho, is card ka hukm ye hai ke uske istemal karne par agar mutayyan raqam machine ke istemal ke ujrat [mazduri] ke tor par bank wasool karey to wo mazduri raqam ke kam ziyada hone ke aitebar se na ho to jaiz hai, lekin agar bank raqam ko kam ziyada ki buniyad banaa kar uske aitebaar se hi kuchh wasool karey to jaiz nahi, kyun ke ye sood keyhlayega, albatta bank card chaalu karne ki fees wasool kar sakta hai.
📘[FATAWA USMANI JILD-4 SAFA-354
HZ. MUFTI MUAHAMMAD TAQI USMANI SAHAB D.B. KARACHI]
*क्रैडीट, डेबिट, चाजँ कार्डके हुकम*
⭕आज का सवाल नंबर:-887⭕
आज कल अलग अलग किस्म के क्रैडीटकार्ड बाज़ार में चल रहे हैं क्या उनको इस्तेमाल कर सकते हैं?
🔵 जवाब 🔵
आज कल तीन किस्म के क्रैडीट कार्ड मशहूर हैं.
1. डेबीट कार्ड
2. चाजँ कार्ड
3. क्रेडिट कार्ड.
1. डेबीट कार्ड :-- इस कार्ड के रखनेवाले का एकाउन्ट पहले से बैंक में मौजूद रहता है, जिस बेंक का उसने कार्ड हासिल किया है, कार्ड रखनेवाला जब भी उस के कार्ड को इस्तेमाल करता है, बैंक उसके एकाउन्टमें से मौजूद रकम मै से उसकी अदायगी कर देती हैं.उसमें कार्ड रखनेवालेको उधार (credit) की सहुलत हासील नहीं होती.बल्कि सिर्फ उस वक्त तक कार्डको इस्तेमाल कर सकता है जब तक उसके एकाउन्टमैं रकम मौजुद है,बैंक इस कार्ड को चालू रखनेकी फीस वसूल करती हैं. इस कार्ड का इस्तेमाल बेशक़ जाइज़ हैं. इसके जरीये खरीद -व-फरोखत, ले-बेच, दुरुस्त है. क्योंकि इसमें ना कर्ज की सूरत है ना सूद (व्याज - ईन्टरेस्ट) की. अलबत्ता कार्ड रखनेवालेकी ये जिम्मेदारी होती है की उस कार्ड को गैरशरई कामो में ईस्तेमाल ना करे.
2.चाजँकार्ड :इस कार्ड के रखनेवाले का बैंक में एकाउन्ट पहले से नहीं होता. बल्कि बेंक कार्ड रखनेवाला को उधारकी सहूलत देती हैं. कार्ड रखनेवाला को एक मुतय्यन ( fix) दिनोकीउधारीकी सहूलत मीलती हैं. जीस मे उस बैंक को रकम अदा करना जरुरी होता है. अगर उस मुदृत में रौनकी अदायगी हो जाए तो सूद नही लगता. अलबत्ता कार्ड रखने वाले ने वक़्त पर अदायगी ना की तो फिर उसके सूदके साथ अदायगी करनी पडती हैं. बैंक इस कार्ड को चालू रखनेकी फीस वसूल करती हैं. इस कार्ड को नीतो दिये हुए शराईत के साथ इस्तेमाल करना जाइज़ हैं.
(1) कार्ड रखनेवाला इस बात का पुरा इन्तजाम करें.मुतय्यन तैय सुदा वकत् से पहले रकमकी अदायगी कर दे. और कीसी भी वकत सूद जिम्मे में आनेका कोई ईमकान बाकी न रहे.
(2).कार्ड रखनेवालेकी ये जिम्मेदारी है की उस कार्ड को गैरशरई कामो में ईस्तेमाल ना करे.
3... क्रेडीट कार्ड :-
इस कार्ड के रखनेवाले का बैंक में कोई एकाउन्ट नहीं होता. बल्कि मुआहदा ( एग्रीमेऩ्ट / कोन्टा्क्ट) ही सूद के साथ उधार लेने पर करता है.इस मुआहदा ( एग्रीमेऩ्ट / कोन्टा्क्ट) में अगरचे बैंक एक मुतय्यन ( fix) मुदित देती है जीस मे अगर कार्ड रखनेवाला रकमकी अदायगी कर दे तो उसे सूद नही देना पडता.लेकिन शरुआत ही में मुअाहदा सूदकी बुनियाद पर होता है और उसकी अदायगी का वादा होता है. इसके अलावा इसमे मुदृतको तजदीद - रीन्यु करनेकी सहुलतभी मौजूद होती हैं. जिससे रकमकी अदायगी की मुदृत बढ जाती है अलबत्ता उसके साथ साथ सूद का फीसद - परसन्टेज ( %) में ईजाफा हो जाता है. बाज़ सुरतौं मैं ज़्यादा रकम ली जाती है उसका हुक्म ये है की इस कार्डका इस्तेमाल करना जाइज नहीं. मगर ये के डेबिट कार्ड / चार्ज कार्ड अलग से ना मीलता हो ओर उसे डेबिट कार्ड / चार्ज कार्ड की तरह उपर जाये हुए शराईत के साथ ईस्तेमाल क्या जाये. इन तमाम कार्डको के्डीट कार्ड कह दीया जाता है.लेकिन जो असल में के्डीट कार्ड है उसका ईस्तेमाल जाईज़ नही. अलबत्ता के्डीट कार्ड का लफज़ उपर दी हुई दो
(2) किस्म पर बोला जाये तो ईस्तेमाल जाईज़ है. उनके अलावा कारिका एक किस्म जिसे एटीएम ATM कार्ड कहते है , ये रकम निकालने का कार्ड होता है , बाझ दफा उस्का पाया जाना उपर जिक्र किये हुए कार्डके जिम्मे, साथ- साथ भी होता है. मसलन् ये मुमकिन है कि डेबीट कार्डमे एटीएम ATM से रकम निकालने की सहुलत भी मौजूद हो. इस कार्ड का हक्क ये है की चालू रखनेकी फीस वसूल करती हैं. इस कार्ड को नीतो दिये हुए शराईत के साथ इस्तेमाल करना जाइज़ हैं. (1) कार्ड रखनेवाला इस बात का पुरा इन्तजाम करें. मुतय्यन तैय सुदा वकत् से पहले रकमकी अदायगी कर दे. और कीसीभी वकत सूद जिम्मे में आनेका कोई ईमकान बाकी न रहे. (2).कार्ड रखनेवालेकी ये जिम्मेदारी है की उस कार्ड को गैरशरई कामो में ईस्तेमाल ना करे.
📝 मुफि्त ईमरान इस्माईल मेमन.
🕌 उस्ताद-ए-दारुल उलुम, रामपुरा, सुरत. गुजरात. इन्डीया.
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